मेरा नाम हिमांशु है और मैं उत्तर भारत का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 37 साल है.
मैं बचपन से ही काफी खतरनाक इंसान हूं और मुझे सेक्स को लेकर तरह-तरह के एडवेंचर करने का बहुत मन रहता था।
मैं समझता हूं कि सेक्स एक बुनियादी आवश्यकता है। जैसे किसी इंसान को भूख लगती है, प्यास लगती है, उसी तरह सेक्स की भी इच्छा होती है।
कुछ लोग खाने में काफी रुचि रखते हैं, कुछ लोगों को हमेशा कुछ ड्रिंक चाहिए होती है, कुछ लोगों को शारीरिक गतिविधियों का बहुत शौक होता है। ये सब प्रकृति का ही बनाया हुआ है। ठीक उसी प्रकार कामवासना की प्रकृति भी प्रकृति की बनी हुई है और इसको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
मेरा ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि आप हर लड़की या औरत को कामुकता की नज़र से ही देखें या अपनी कामवासना के लिए कोई अपराध करें। मैं इसके खिलाफ हूं. लेकिन सही तरीके से अपनी प्यास को बुझाने में कोई बुराई नहीं है। आप अपनी जैसी इच्छा रखने वाली लड़कियों को पहचानें या फिर सेक्स वर्कर्स के साथ पूरी रजामंदी से सेक्स करें, ताकि अपनी जरूरी पूरी हो और आप जीवन में कुछ अच्छा कर सकें।
अब आते हैं मेरी कहानी पे.
बात है 2014 की जब मेरे एक रिश्ते में (जो रिश्ते में मेरे ताऊ लगते हैं) छोटी बेटी की शादी थी। ताऊ जी की 2 लड़कियाँ और एक लड़का है, जिनकी बड़ी लड़की और लड़का मुझसे उमर में बड़े हैं और छोटी बेटी मुझसे 2 साल छोटी है।
बड़ी दीदी जिसके घर का नाम ‘तिनकी’ है उसकी शादी 2 साल पहले ही हो चुकी थी।
बता दें चालू की सिर्फ यौन पसंद में अनाचार भी है; यानी अपनी रिश्तेदारी की लड़कियां और महिलाओं के प्रति कामुकता का भाव हमेशा से था।
टिंकी को मैं दीदी बोलता था लेकिन उसके मोटे-मोटे स्तन और बड़ी सी गांड को देख कर नजाने कितनी बार मुठ मार चुका था।
साथ ही मुझे अपनी डर की चाची, मामी और अन्य रिश्तेदारों को देख के भी लंड खड़ा हो जाता था और मैं पोर्न देख कर उनके नाम से मुथ मारता रहता था। मेरा सपना था कि काश इनमे से कोई मेरी तरह ही सोचे और मुझे चुदाई करने का मौका दे।
शादी को दो दिन बचे थे और हम सभी रिश्तेदार ताऊ जी के घर में इक्ट्ठा हो रहे थे, जिनमें वही सुंदर सुंदर चाचियां और बाकी औरतें पतली थीं।
शादी के एक दिन पहले घर में रात 12 बजे तक गीत संगीत का माहौल था और मैं भी तमाम रिश्तेदारों के बीच में ही बैठ के माहौल का हिसा बना हुआ था।
दोस्तों, मैं तिनकी दीदी के बगल में ही बैठा था। वो काफ़ी अच्छा ढोलक बजाती और नाचती भी है। तिनकी दीदी और बाकी तमाम महिलाओं को काफी देर तक देखने के बाद अब मेरा लंड आसमान पर जा चूका था और मुझे तुरंट मुठ मारने की जरूरत महसूस हो रही थी।
तभी मेरे मन में एक विचार आया। घर के ग्राउंड फ्लोर पर ये सब कार्यक्रम हो रहा था लेकिन ऊपर के फ्लोर पर टिंकी दीदी ने जिस कमरे में अपने कपड़े रखे थे, उसमें कोई नहीं था। मैंने सोचा कि हमारे कमरे में जाके टिंकी की ब्रा या पैंटी में मुठ मारा जाएगा।
अब ये विचार मुझे झकझोरने लगा. महोल ऐसा था कि कोई किसी को नोटिस नहीं कर रहा था। मैंने मौके का फ़ायदा उठाया के धीरे से वहां से खिसक लिया और ऊपर के फ्लोर पर चला गया।
ऊपर जाकर मैंने पहले इधर-उधर देखा कि पहले से कहीं कोई है तो नहीं। लेकिन दोस्तों, ऊपर के फ्लोर पर 3 कमरे और एक हॉल था जिसमें से एक कमरे में बुड्ढे नाना सो रहे थे। और तिनकी ने जिस कमरे में अपना सामान रखा था, वो सबसे पीछे था और मेरे मुंह में मरने के लिए सुरक्षित भी था।
मैं पहले अपने कमरे में गया और अलमारी पर टिंकी के रखे हुए कपड़ो में से उसकी ब्रा पैंटी खोजने लगा। तभी मुझे उसकी एक पैंटी मिली। वो पैंटी काले रंग की थी और उसमें कुछ लाल रंग के गुलाब के फूल बने थे। पैंटी पुरानी लग रही थी क्योंकि उसके बीच में चूत वाले एरिया के पास का रंग थोड़ा उड़ा हुआ था।
दोस्तों, मैंने आव देखा ना ताव हमें पैंटी को अपने मुंह में भर लिया और नाक से उसको सुनने लगा।
मैंने सोचा कि पूरे नंगे होकर इस पैंटी को पहन कर मुठ मारूंगा। जोश जोश में मैंने अपनी लोअर उतार दी और उस पैंटी को पहन लिया। मेरा लंड तन कर 8 इंच का लोहा बन चुका था और मैंने मुठ मारना शुरू किया और खुद ही गंदी-गंदी आवाजें निकलने लगा जैसे, “आह मेरी रांड दीदी… अपने मुंह बोले भाई का लंड तो देख… तेरे पति से कहीं ज्यादा संतुष्ट करेगा तुझे…” ऐसी बातें बोल कर मुठ मारने लगा.
दोस्तों, मैं इस तरह की आवाज निकाल कर मुथ मार ही रहा था कि मुझे किसी के आने की आवाज सुनाई दी। माई अचानक से वो पैंटी उतारा और उसको किनारे फेक के अपनी लोअर पहन लिया और बिस्तर पर बैठ गया।
दोस्तों, वो कोई और नहीं बल्कि टिंकी दीदी ही थी। वो कमरे में आते ही बोली, “अरे भोलू, तुम यहाँ क्या कर रहे हो?”
मेरा चेहरा डरा हुआ हुआ था और गांड फट गई थी। मुझे होश आया कि मैं क्या कर रहा था। मैंने भी झिझकती हुई आवाज में कहा, “कुछ नहीं, दीदी… ऐसे ही लेने दो… थकन हो गई है।”
फ़िर तिनकी दीदी ने अपनी पेंटी किनारे फेकी हुई देखी। और दोस्तों, मैं भी अपना अंडरवियर पहनना भूल गया था। डायरेक्ट लोअर पहन लिया था तो मेरी भी अंडरवियर अन्होन देख लिया।
उसके बाद उन्होंने मुझे देखा और 2-3 सेकंड तक देखती रही। मेरी गांड फट चुकी थी. नवंबर की ठंडी में पसीना हो रहा था। वो समझ गई कि कुछ गड़बड़ है। फिर इसे पहले कि वो मुझसे कुछ बोलती, उसको किसी ने नीचे से आवाज दी तो वो बाहर जाकर बोली के, “रुको थोड़ी देर… आ रही हूं।”
फिर वो अंदर आई और मुझसे बोली कि, “ये तुमने मेरा इनरवियर क्यों निकाला अलमारी से?”
दोस्तों, मुझे ऐसा लग रहा था कि अब तो मैं चला गया। अब ये सबको बता देगी और मैं घर में मार खाऊंगा और पता नहीं इसके बाद क्या होगा मेरे साथ।
मैंने खुद को थोड़ा संभाला और स्मार्टली बोला, “दीदी हम क्यों निकालेंगे आपका कपड़ा?”
फिर उसने बोला, “अपनी अंडरवियर भी तो निकले हो… क्या कर रहे थे? सच बताओ मुझे तुरंट!”
दोस्तों, वो थोड़े गुस्से वाली भी थी और मुझे समझ आ गया कि अब ये हल्ला करेगी। मैंने तुरेंट उसके पांव पकड़ लिए और रोने लगा। मैंने कहा, “दीदी, मुझे माफ कर दीजिए दीदी… दिमाग में कुछ गंदी आ गई थी दीदी। अगर आप मुझे समझा देंगी तो शायद मेरी गंदगी साफ हो जाएगी दीदी…”
वो शॉक हो कर मुझे देखने लगी और बोली कि, “तुम पहले उठ कर बैठो।”
दोस्तों, मैं उठ कर बिस्तर पर बैठ गया और सच में रोने लगा डर के मारे।
लेकिन दोस्तों, जैसा मैंने सोचा था, यहां सीन बिल्कुल उससे उल्टा हो गया। उसने मुझसे कहा, “अच्छा, तो तुम कुछ गंदा काम कर रहे हो?”
दोस्तों, मुझे लगा कि, “ये ऐसे क्यों बोल रही है? ये मेरे से क्या उगलवाना चाह रही है।”
अचानक फिर उसके भाई ने उसको नीचे से आवाज दी। दोस्तों, आप विश्वास नहीं करोगे। हमसे मुस्कुराते हुए मुझसे कहा, “भोलू, हम तुमसे बाद में बात करते हैं। लेकिन हमें जानना है कि तुम आखिर क्या कर रहे थे…”
मैने तुरेंट उनसे कहा, “बिल्कुल, दीदी… मैं आपको जरूर बताऊंगा लेकिन आप वादा करिए कि आप किसी और को ये बिल्कुल नहीं बताएंगे…”
दोस्तों, पता नहीं क्यों वो एकदम पॉजिटिव थी और उसने मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए मुझे भरोसा दिलाया कि मैं निश्चिंत रहूं।
दोस्तों, फिर वो वहां से चली गई और मैं भी उसके जाने के बाद आगे चला गया और वहीं आस-पास घूमता रहा।
शादी धूमधाम से जीत गई और उसने मेरे साथ शादी में डांस भी किया जैसे सभी कजिन्स कर रहे थे। एक बार को मुझे लगा कि शायद ये इसके लिए कोई गंभीर मामला नहीं है और ये बात को भूल गई होगी। काफी मैच्योर है ये. ऐसा सोच कर मैं भी रिलैक्स हो गया।
दोस्तों, वो शादी बीत गयी। विदाई हो गई और अगले ही दिन मुझे भी वापस लखनऊ जाना था क्योंकि मैं वक्त वहीं पर नौकरी कर रहा था।
मुझसे ताऊ जी और ताई जी ने पूछा था कि मेरी ट्रेन कब है तो मैंने उन्हें बता दिया था, “आज दोपहर 3:30 बजे की ट्रेन है।”
मेरे पापा मम्मी और छोटा भाई जो मेरे होमटाउन से आये थे वो भी जाने वाले थे।
दिन के 12:30 पर घर के हलुवाई ने खाना तयार होने का शोर किया और सभी लोग ग्राउंड फ्लोर के सामने लॉन एरिया में खाना खाने जाने लगे।
दोस्तों, क्योंकि विदाई हो चुकी थी, लोग काफी थके हुए थे और ज्यादा लोग चले भी गए थे। घर में अभी काफी शांति हो गई थी। मैं भी खाना खा कर थोड़ा आराम कर रहा था कि तभी तिनकी दीदी मेरे बगल में आ कर बैठ गयी और अपना फोन चलाने लगी।
दोस्तो, मैंने जैसे ही उनकी तरफ देखा, वो मुझे देखने लगी। फ़िर उहनोने इधर-उधर देखा। रूम में एक तरफ 3-4 बुज़ुर्ग हाय द जो सो रहे थे। तिनकी दी ने मुझसे तपाक से पूछा, “हां… तो भोलू, कल क्या काम कर रहे थे तुम, बताओगे मुझे?”
इस बार उसका मुँह थोड़ा सीरियस लग रहा था।
दोस्तों, मेरी गांड एक बार फिर फट गयी। मुझे लगा की, “ये अब क्यों पगलाने लगी अचानक?”
मैने लड़खड़ाती हुई ज़ुबान से कहा, “वो… दीदी वो… अभी यहाँ पर कैसे बताऊँ मतलब?”
उसने तुरत बोला, “देखो, हमें कुछ आइडिया तो है लेकिन हम तुम्हारे मुँह से सुनना चाहते हैं…”
दोस्तों, मुझे समझ आ गया कि अब इसको कुछ तो बताना ही होगा। अब तुम नहीं बोल सकते कि मैं तुम्हारी पैंटी में मुठ मार रहा था तो मैंने तुरेंट एक दूसरी कहानी सोच ली। मैंने कहा, “दीदी, यहीं बतायें आपको? कोई सुन लेगा…”
उसने फिर इधर-उधर देखा और मुझसे बोला, “सुनो, हम ऊपर अपने कमरे में जा रहे हैं… 2 मिनट के बाद तुम भी आओ।” ये कहकर वो चली गई.
दोस्तो, अब पता नहीं क्यों मुझे एक अजीब वाइब्रेशन फील हो रहा था, जिसमें मुझे कुछ अलग ही फील हो रहा था। मैं अब डर नहीं रहा था. माई भी उसके पीछे ऊपर वाले रूम में चला गया।
जब मैंने ऊपर पूछा तो उसने मुझे ऑर्डर देते हुए कहा कि, “दरवाजा पूरा खुला रहने दो।”
मैने बोला की, “हां, दीदी… डरवा क्यों बंद करेंगे?”
फिर उसने बोला कि, “अब बोलो क्या था कल।”
मैंने उसको थोड़ा मिमियाते हुए बोला, “दीदी, असल में मुझे पता नहीं था कि वो आपकी पैंटी है… असल में किसी लेडीज़ के अंडरगारमेंट्स कभी नहीं देखे थे, इसलिए देख रहा था थोड़ा पास से…”
उसने मुझे 2 सेकंड देखा, फ़िर बोला, “तो अपनी अंडरवियर उतार के मेरी देख रहे थे?”
दोस्तों, मैं थोड़ा फंस गया और मैंने बोला, “अरे नहीं, दीदी… वो तो हमने ऐसे ही उतारा था चेंज करने के लिए।”
फिर दोस्तों, उसने अचानक मेरे लंड पर हाथ रख दिये बोला कि, “तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या, भोलू?”
आपलोग यकीन मानिए, उसका ये रूप देख के मेरे बदन में जैसे वाइब्रेशन होने लगी। माई ख़ुशी से पागल हो गया। मेरे मुँह से एक बार निकला “दीदी”… उसने तुरत बोला, “चुप रहो…दीदी, दीदी करते रहोगी क्या जिंदगी भर?”
वो खुद उठकर कमरे के बाहर चली गई और इधर-उधर देखने के बाद कमरे में वापस आ गई।
दोस्तों, उसके चेहरे पर एक तेज़-तर्रार बंगाली औरत जैसा ग्लो था। साड़ी पहन हुई मेकअप अभी उतरा नहीं था और मैं तो बस यहीं सोच रहा था कि, “मैंने कौन सा इतना अच्छा कर्म किया था पिछले जन्म में?”
वो अंदर आकार बोली, “भोलू, मुझे अपना दिखाओ कितना बड़ा है…”
मैंने तुरंट पैंट सरका के अपना लंड उसके सामने रख दिया। मैंने बोला, “तिनकी दीदी, इसको अपने सुंदर हाथों से पकड़ लीजिये… ये लंड धन्य हो जायेगा…”
मेरी ये बात सुनकर वो थोड़ी हंसी और मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ कर हिलाने लगी…
फिर क्या था दोस्तो. हम दोनों ने गंदी से गंदी बातें की। उस दिन मेरा लखनऊ जाना भी जरूरी था, इसलिए हमने फोन पर आगे की योजना बनाई।
हलाकि रूम में उसने मेरा लंड अपने हाथों से हिला के एक बेहतरी मुठ्ठ मार दिया मेरा।
वो अहमदाबाद में अपने पति और 2 बच्चों के साथ रहती हैं। 2014 से लेके 2026 आ गया। मैंने उसको अहमदाबाद जाकर करीब 60 बार छोड़ा है और उसने तो मुझे अपने एक पुराने दोस्त को भी चुदवाया है जिसकी कहानी मैं खराब बताऊंगा। हमने एफएफएम थ्रीसम भी किया और अब जब भी मन होता है, हम फोन सेक्स करते हैं।
जब तक हम दोनों की इच्छाएँ रहेंगी, हम सेक्स करेंगे। उसके बाद, इस चीज़ को भूल जायेंगे। यहीं हम दोनों ने फैसला किया है।